सावन तीज तो चली गयी, आप झुले क्या ?

 

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एक जमाना हुआ करता था जब तीज की आहट सावन लगते ही सुनाई देने लग जाती थी। छोटे-बड़े पेड़ो पर झुले लग जाया करते थे। गुडा गुड्डी को विदाई देने का समय आ  जाया करता था और हर शाम को गांव के चौक चबुतरों पर गांव की बेटियों के मधुर सावन गीत सुनने को मिलते थे। सावन तीज निकल जाने के बाद युं लगाता था मानों किसी दुसरी दुनियां में लौट आये हैं। अब तो ऐसे लगता है कि ये सब बीते दौर की बातें हो गई हो। कुछ ही जगह पर ये त्यौंहार परंपरागत ढंग से मनाते देखा जाता है वो भी ग्रामीण अंचल में। पल्लू क्षेत्र के गांव देवासर में बड़ा सा झुला तो लगा था मगर इस पर झूलने वाले सिर्फ पुरूष ही दिखाई दिये। हालांकि ये त्यौहार ही महिलाओं का माना जाता था।

तीज का त्यौहार भारत के कोने-कोने में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है. यह त्यौहार भारत के  उत्तरी क्षेत्र में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है. सावन का आगमन ही इस त्यौहार के आने की आहट सुन्नाने लगता है समस्त सृष्टि सावन के अदभूत सौंदर्य में भिगी हुई सी नज़र आती है. सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज के रुप में मनाया जाता है. यह हरियाली तीज के नाम से भी जानी जाती है. यह त्यौहार मुख्यत: स्त्रियों का त्यौहार माना जाता है.

हाथों में रचि मेंहंदी की तरह ही प्रकृति पर भी हरियाली की चादर सी बिछ जाती इस न्यनाभिराम सौंदर्य को देखकर मन में स्वत: ही मधुर झनकार सी बजने लगती है और हृदय पुलकित होकर नाच उठता है , इस अवसर पर स्त्रियाँ गीत गाती हैं, झूला झूलती हैं और नाचती हैं. इस समय वर्षा ऋतु की बौछारें प्रकृति को पूर्ण रूप से भिगो देती हैं.

इस समय वर्ष अपने चरम पर होती है प्रकृति में हर तरफ हरियाली की चादर सी बिछी होती है और शायद इसी कारण से इस त्यौहार को हरियाली तीज कहा जाता है. सावन की तीज में महिलाएं व्रत रखती हैं इस व्रत को अविवाहित कन्याएं योग्य वर को पाने के लिए करती हैं तथा विवाहित महिलाएं अपने सुखी दांपत्य की चाहत के लिए करती हैं. देश के पूर्वी इलाकों में लोग इसे हरियाली तीज के नाम से जानते हैं. इस समय प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित हो जाता है जगह-जगह झूले पड़ते हैं और स्त्रियों के समूह गीत गा-गाकर झूला झूलते हैं.

तीज का पौराणिक महत्व |

सावन की तीज का पौराणिक महत्व भी रहा है. इस पर एक धार्मिक किवदंती प्रचलित है जिसके अनुसार माता पार्वती भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए इस व्रत का पालन करती हैं और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें भगवान शिव वरदान स्वरुप प्राप्त होते हैं. मान्यता है कि श्रावण शुक्ल तृतीया के दिन देवी पार्वती ने सौ वर्षों की तपस्या साधना पश्चात भगवान शिव को पाया था.  इसी मान्यता के अनुसार स्त्रियां माँ पार्वती का पूजन करती हैं.

तीज पूजा एवं व्रत |

अपने सुखी दांपत्य जीवन की कामना के लिये स्त्रियां यह व्रत किया करती हैं. इस दिन उपवास कर भगवान शंकर-पार्वती की बालू से मूर्ति बनाकर  षोडशोपचार पूजन किया जाता है जो रात्रि भर चलता है. सुंदर वस्त्र धारण किये जाते है तथा कदली स्तम्भों से घर को सजाया जाता है. इसके बाद मंगल गीतों से रात्रि जागरण किया जाता है. इस व्रत को करने वालि स्त्रियों को पार्वती के समान सुख प्राप्त होता है.

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में तीज |

तीज का त्यौहार भारत के अनेक भागों में बहुत जोश और उल्लास के साथ मनाया जाता है. उत्तर भारत के क्षेत्रों जैसे बुन्देलखंड, झाँसी, राजस्थान इत्यादि क्षेत्रों में हरियाली तीज के नाम से बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश, बनारस, गोरखपुर, जौनपुर, सुलतानपुर आदि जिलों में इसे कजली तीज के रूप में मनाया जाता है.

तीज का लोक जीवन पर प्रभाव |

तीज का आगमन वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही आरंभ हो जाता है. आसमान काले मेघों से आच्छ्दित हो जाता है और वर्षा की बौछर पड़ते ही हर वस्तु नवरूप को प्राप्त करती है. ऎसे में भारतीय लोक जीवन में हरियाली तीज या कजली तीज महोत्सव बहुत गहरा प्रभाव देखा जा सकता है. तीज पर मेहंदी लगाने और झूले झूलने का विशेष महत्त्व रहा है. तीज समय नवयुवतियाँ हाथों में मेंहदी रचाती हैं तथा लोक गीतों को गाते हुए झूले झूलती हैं. तीज के दिन खुले स्थान पर बड़े–बड़े वृक्षों की शाखाओं पर, घर की छत की कड़ों या बरामदे में कड़ों में झूले लगाए जाते हैं जिन पर स्त्रियां झूला झूलती हैं हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं.

इस अवसर पर विवाह के पश्चात पहला सावन आने पर नव विवाहिता लड़की को ससुराल से पिहर बुला लिया जाता है विवाहिता स्त्रियों को उनके ससुराल पक्ष की ओर से सिंधारा भिजवाया जाता है जिसमें वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी और मिठाई इत्यादि सामान भेजा जाता है.

मेरी मॉ

हजारो फूल चाहिए एक माला बनाने के लिए,
हजारों दीपक चाहिए एक आरती सजाने के लिए
हजारों बून्द चाहिए समुद्र बनाने के लिए,
पर “माँ “अकेली ही काफी है,
बच्चो की जिन्दगी को स्वर्ग बनाने के लिए..!!

 

 

Meri chahat ka jo jahan hain,
Wo meri maa hain.

Meri zameen ka jo aasman hai
Wo meri maa hain.

Mera sb kuchh jis k naam hai
Wo meri maa hain.

Hansi meri jis k wajood se hai
Wo meri maa hain.

हमारे कुछ गुनाहों की सज़ा भी साथ चलती है
हम अब तन्हा नहीं चलते दवा भी साथ चलती है
अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है

 

माँ ना होती तो वफ़ा कौन करेगा,
ममता का हक़ भी कौन अदा करेगा,
रब हर एक माँ को सलामत रखना,
वरना हमारे लिए दुआ कौन करेगा.

 

 

ये जो सख्त रस्तो पे भी आसान सफ़र लगता हे
ये मुझ को माँ की दुआओ का असर लगता हे
एक मुद्दत हुई मेरी मां नही सोई तबिश …
मेने एक बार कहा था के मुझे डर लगता हे..!!!

 

 

15 august 2016

Hlki si dhup brsat k baad,
thori si khushi hr baat k baad,
Isi tarh mubark ho ap ko,
Azadi 1 din k baad….
Wish u a very happy independence day

Today v r miles aprt
bt I wana reach acros D miles
nd say i’m thinking of u in a very spcl way
happy independence day……

Geet gate hai hm,
Gungunate hai hm!
Gayb na ho jaye mere desh ka naujawan,
Hme hi toh Vande Matram, ke swar se,
Jhanda lehrana hai!

~::~’~ independence day sms ~’~::~
Aj mai apse apne dil ki bat kahna chahta hu
han wohi 3 alfaz jo ap sunna chahtay hai
han wohi 3 alfaz jo ap k dil ko cholain
H A P P Y INDEPENDENCE D A Y

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